कवि ने चित्रात्मक शैली का प्रयोग करते हुए पावस ऋतु का सजीव चित्र अंकित किया है। ऐसे स्थलों को छाँटकर लिखिए।
इस प्रकार के स्थल निम्नलिखित हैं-
(क) मेखलाकार पर्वत अपार
अनेक सहस्र दृग-सुमन फाड़,
अवलोक रहा है बार-बार
नीचे जल मे निज महाकार,
(ख) गिरिवर के उर से उठ-उठ कर
उच्चाकांक्षाओं से तरुवर
हैं झाँक रहे नीरव नभ पर
अनिमेष, अटल, कुछ चिंतापर ।